सभी जीवित प्राणी कोशिकाओं व उनके उत्पादों से बने होते हैं। एककोशिकीय जीव जैसे- अमीबा,पैरामीशियम में उसके शरीर में एकल कोशिका होती है अर्थात एकल कोशिका ही सभी आधारभूत जीवन क्रियो को संपन्न करती है।
बहुकोशिकीय जीवो में विभिन्न कार्यों का संपादन कोशिकाओं के विभिन्न समूह द्वारा किया जाता है। इस प्रकार हम यह कह सकते हैं कि बहुकोशिकीय जीवों में श्रम विभाजन(Division of Labour) होता है।
कोशिकाएं जो कार्य में विशिष्ट होती है,एक साथ सामूहिक रूप से ऊतक का निर्माण करती हैं। जैसे- रुधिर(Blood), पेशी(Muscle)सभी ऊतक के उदाहरण है।
विभिन्न प्रकार के ऊतक मिलकर उतक तंत्र बनाते हैं।अनेक ऊतक तंत्र मिलकर अंग बनाते हैं।विभिन्न अंग मिलकर अंग तंत्र बनाते है।अंगतंत्र से शरीर का निर्माण होता है।
ऊतक शब्द का बाइकाट (Bichat) ने किया था।
ऊतकों का अध्ययन औतिकी(Histology) की कहलाता है।इसकी स्थापना (Marcello Malphigi) ने की थी।
औतिकी(Histology) शब्द का प्रयोग मेयर(Mayer) ने 1819 में किया था।
ऊतक(Tissue) निम्नलिखित दो प्रकार के होते हैं:-
1-सरल ऊतक(Simple Tissues)
2-जटिल ऊतक(Complex Tissues)
सरल ऊतक(Simple Tissues):- इनका निर्माण सामान प्रकार की कोशिकाओं से होता है।
जटिल ऊतक(Complex Tissues)– इनका निर्माण दो या दो से अधिक प्रकार की कोशिकाओं से होता है, जो एक ही कार्य संपन्न करती है।
ऊतक की परिभाषा:- कोशिकाओं का ऐसा समूह जिनके आकार एवं आकृतियां लगभग समान हो, जिनकी उत्पत्ति का स्रोत समान हो, जिनका विकास सामान विधियों से हुआ हो तथा जो जीवधारी के शरीर में किसी विशेष क्रिया को सामूहिक रूप से संपन्न करती हो,ऊतक कहलाता है।
क्या पौधे और जंतु एक ही तरह के ऊतकों से बने होते हैं? :- पादप और जंतु जीव के दो अलग-अलग प्रकार हैं।पादपो को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता नहीं होती इसलिए पादपो में अधिकांश ऊतक अवलंबी(Supportive)होते हैं, जो उनको संरचनात्मक सामर्थ प्रदान करते हैं। इन ऊतकों में से अधिकतर जैसे- Xylem,Phloem,Sclerenchyma,Cork आदि निर्जीव ऊतक हैं l,जिनमें जीवित जीवद्रव नहीं होता है।
इसके विपरीत पादपों की तुलना में जंतुओं को अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है। इनके ऊतकों में से अधिकतर जीवित होते हैं।