यह तीन रंग की समान चौड़ाई की आयताकार पट्टियों से बना है। सबसे ऊपरी पट्टी केसरिया बीच में श्वेत पट्टी और निचली पट्टी हरे रंग की होती है।
बीच के श्वेत पट्टी के केंद्र में गहरे नीले रंग का अशोक चक्र बना है।इसमें समान दूरी पर स्थित 24 तीलियाँ बनी होती हैं।
पूरा ध्वज आयताकार होता है,जिसमें लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 होता है।
संविधान सभा में राष्ट्रध्वज के बारे में डॉक्टर राधाकृष्णन ने बताया कि भगवा या केसरिया रंग “त्याग और निस्वार्थता” का प्रतीक है। श्वेत रंग “प्रकाश और सत्य के पथ” का प्रतीक है और हरा रंग “धरती और पेड़-पौधे के साथ हमारे संबंध” को व्यक्त करता है।
अशोक चक्र धर्म के नियम का चक्र है।यह चक्र गति का भी प्रतीक है। गति में जीवन है,भारत को गतिमान रहना और आगे बढ़ाना है।
ध्वज की मर्यादा और सम्मान के अनुकूल जो भारतीय राष्ट्रीय ध्वज संहिता में विस्तार से लिखा हुआ है, कोई भी राष्ट्रीय ध्वज सभी दिन, समारोह या अन्य अवसरों पर फहरा सकता है।
जहां किसी सार्वजनिक भवन पर ध्वज फहराने का चलन है,इसे रविवार और छुट्टियों के दिन भी फहराया जाता है। उसे भवन पर किसी अत्यंत विशिष्ट अवसर पर रात में भी ध्वज फहराया रखा जा सकता है।
राजकीय/ सैनिक/ अर्ध-सैनिक अंतिम संस्कारों के अतिरिक्त किसी भी अवसर पर राष्ट्रीय ध्वज को कुछ लपेटने के कार्य में प्रयुक्त नहीं किया जा सकता है। उन अवसरों पर भी ध्वज को चिता या कब्र में नहीं डाला जाता।
यदि ध्वज फट गया हो तो इसे जैसे-तैसे फेक नहीं दिया जाता बल्कि सम्मान पूर्वक एकांत में प्राय: जलाकर नष्ट किया जाता है।
राष्ट्रध्वज को पोशाक या पहनावे के रूप में प्रयोग किया जा सकता है किंतु कमर के नीचे या अधोवस्त्र के रूप में इसका प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
ध्वज के ऊपर किसी भी तरह का कुछ लिखना मना है। इसे किसी तरह के विज्ञापन के लिए भी प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
राष्ट्रध्वज को एक ही स्तंभ पर दूसरे ध्वज के साथ नहीं फहराया जा सकता है।
जब कोई विदेशी महानुभाव सरकार द्वारा प्रदत्त कार में चलते हैं, तो कार में आगे दाहिनी ओर अपने देश का राष्ट्रध्वज रहता है और अन्य देश का राष्ट्रध्वज बाई ओर रहता है।
देश के राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री का निधन होने पर पूरे देश में राष्ट्रध्वज आधा झुका दिया जाता है।
राष्ट्रीय ध्वज का निरादर करना दंडनीय अपराध है।
हमें अपने राष्ट्रध्वज को प्रणाम करना और उससे प्रेम रखना चाहिए।